ग़ज़ल ✨
✍️ आलोक रंजन त्रिपाठी
नज़र से देखकर तुमको ख़ुशी महसूस करता हूं,
मैं अब बेहतर से बेहतर ज़िन्दगी महसूस करता हूं।
हवा के साथ जब आती है तेरी खुश्बुएँ मुझ तक,
गुलाबों सी वो हल्की ताज़गी महसूस करता हूं।
मुहब्बत–इश्क़ में न जाने क्या क्या ख़्वाहिशें मेरी,
मगर हरदम तेरी मौजूदगी महसूस करता हूं।
ज़माना कुछ भी कह ले, प्रेम पर सब कुछ सहूँगा मैं,
मैं तेरे इश्क़ में संजीदगी महसूस करता हूं।
बहुत प्यासा है दिल, दरिया किनारे बैठकर भी क्यों,
कोई कहता है मुझसे तिश्नगी महसूस करता हूं।
जहां में प्यार के किस्से बहुत मशहूर हैं जिनके,
उन्हीं के साथ अपनी बंदगी महसूस करता हूं।
हंसी दुनिया, हंसी धरती, हंसी भारत की फुलवारी,
मैं रंजन देखकर ये सब हसीं महसूस करता हूं।
आलोक रंजन त्रिपाठी ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ इन्दौर
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