🌸 पत्नी क्या होती है — पति के लिए एक संस्कृत-प्रेरित आध्यात्मिक दृष्टि
✍️ आलोक रंजन त्रिपाठी — ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इन्दौर
संस्कृत परंपरा में पत्नी को केवल जीवन-संगिनी नहीं, बल्कि जीवन की आध्यात्मिक शक्ति कहा गया है।
पति के लिए पत्नी का स्थान अत्यंत पवित्र और दिव्य माना गया है—
🌼 १. अर्धांगिनी — जीवन की पूर्णता
“यस्याः विना पुरुषस्य जीवनम् अपूर्णम्।”
पत्नी वह है जो पति के जीवन में अधूरे को पूर्ण करती है।
🌼 २. सहधर्मचारिणी — धर्म की सहयात्री
“धर्मे चार्थे च कामे च नातिचरति सा पत्नी।”
वह पति के चारों पुरुषार्थों में साथ चलकर जीवन को दिशा देती है।
🌼 ३. गृहलक्ष्मी — मंगल और सौभाग्य की धारा
जहाँ पत्नी का सम्मान होता है, वहीं देवताओं का निवास होता है।
वह घर में प्रेम, शांति और संस्कारों का दिव्य प्रकाश फैलाती है।
🌼 ४. सखी — मन की अनकही भाषा समझने वाली
“सा सखी या हृदयं आविशति।”
पत्नी वह है जो बिना बोले भी पति के मन को पढ़ लेती है।
🌼 ५. प्रेरणा — पुरुष की आंतरिक ऊर्जा
“स्त्रीशक्तिः पुरुषस्य प्रेरणामूलम्।”
पत्नी ही प्रेरणा बनकर पति को आगे बढ़ाती है, गिरने नहीं देती।
🌼 ६. शान्तिदायिनी — आत्मा का विश्रामस्थल
बाहरी संसार की थकान से लौटकर पति को जो शांति मिलती है, वही पत्नी का स्नेह है।
✨ निष्कर्ष
पत्नी केवल अर्धांगिनी नहीं—
वह प्रेम, शक्ति, करुणा, संस्कार, प्रेरणा और शांति का दिव्य संगम है।
वह पति के जीवन में
सखी भी है, लक्ष्मी भी, गुरु भी और करुणा की धारा भी।
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