मंगलवार, 2 दिसंबर 2025

कुंडली में पतिव्रता पत्नी योग

कुंडली में पतिव्रता पत्नी योग

लेखक – आलोक रंजन त्रिपाठी
वेदिक ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इन्दौर

वेदिक ज्योतिष में वैवाहिक जीवन की मधुरता और पत्नी के स्वभाव का सीधा संबंध सप्तम भाव, चंद्र, शुक्र और बृहस्पति की स्थिति से माना जाता है। इन ग्रहों के सामंजस्य से पतिव्रता पत्नी योग बनता है, जो पत्नी को मर्यादित, संस्कारी, सदाचारिणी और पति के प्रति पूर्णरूपेण समर्पित बनाता है।

⭐ पतिव्रता पत्नी योग के प्रमुख सूत्र

1. सप्तम भाव शुभ एवं निर्बाध हो
यदि सप्तम भाव में शुभग्रह स्थित हों या उन पर शुभ दृष्टि हो, तो पत्नी शांत, संयमी और पति तथा परिवार के प्रति समर्पित होती है।

2. चंद्रमा की दृढ़ स्थिति
चंद्रमा उच्च का या शुभग्रहों की दृष्टि में होने पर पत्नी का स्वभाव भावुक, स्नेहपूर्ण, त्यागी और पतिव्रता होता है।

3. शुक्र की श्रेष्ठ स्थिति
शुक्र उच्च (मीन) में हो या अपनी राशि (वृष/तुला) में हो, तो पत्नी शीलवान, सौम्य, निष्ठावान और गृहस्थ जीवन को संवारने वाली होती है।

4. बृहस्पति का शुभ प्रभाव
बृहस्पति की सप्तम भाव पर दृष्टि कुलीन स्वभाव, धार्मिकता और विवाह में स्थायित्व व पत्नी के उच्च आदर्शों का संकेत देती है।

5. नवांश कुंडली की पुष्टि
नवांश में सप्तम भाव यदि शुभ हो तो पतिव्रता पत्नी योग अत्यंत मजबूत और फलदायी होता है।

⭐ विशेष संयोजन

चंद्र–शुक्र का शुभ संबंध — प्रेम, स्नेह, निष्ठा और मधुर दांपत्य।

बृहस्पति की दृष्टि — धर्मपरायण, आदर्शवादी और पतिव्रता पत्नी।

सप्तम भाव में शुभग्रहों की स्थिति — स्थिर, शांत और सुखद वैवाहिक जीवन।

⭐ निष्कर्ष

जब चंद्र, शुक्र और बृहस्पति सामंजस्यपूर्ण हों तथा सप्तम भाव शुभ हो, तब कुंडली में पतिव्रता पत्नी योग का निर्माण होता है। यह योग जीवनसाथी को निष्ठावान, परिवारनिष्ठ और पति के साथ हर परिस्थिति में खड़ी रहने वाली शक्ति प्रदान करता है।

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आलोक रंजन त्रिपाठी — वेदिक ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इन्दौर
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