✍️ आलोक रंजन त्रिपाठी — ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इन्दौर
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१. भूमिका
प्रशासनिक सेवा — जैसे IAS, IPS, IFS, या राज्य स्तरीय प्रशासनिक पद — केवल परिश्रम से ही नहीं, बल्कि ग्रहों की अनुकूलता से भी प्राप्त होती है। कुंडली में यदि कुछ विशिष्ट योग विद्यमान हों तो व्यक्ति में नेतृत्व, निर्णय शक्ति, अनुशासन और शासन क्षमता स्वतः उत्पन्न होती है।
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२. प्रमुख भाव जो प्रशासनिक योग बनाते हैं
1️⃣ दशम भाव (कर्म भाव) — यह भाव करियर और कार्यक्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
यहाँ सूर्य, शनि, मंगल या गुरु की मजबूत स्थिति व्यक्ति को उच्च प्रशासनिक पद दिला सकती है।
दशम भाव का स्वामी यदि केंद्र या त्रिकोण में बलवान हो तो सरकारी नौकरी के योग बनते हैं।
2️⃣ लग्न और लग्नेश — लग्न व्यक्ति के व्यक्तित्व और आत्मबल का संकेतक है।
लग्नेश बलवान हो, शुभ ग्रहों से दृष्ट हो और षष्ठ (सेवा), दशम (कर्म) या एकादश (लाभ) भाव से संबंध रखे तो सफलता निश्चित है।
3️⃣ षष्ठ भाव — यह भाव प्रतियोगिता, संघर्ष और सेवा का है।
यहाँ मंगल, सूर्य या शनि का बलवान होना सरकारी या प्रशासनिक कार्यों में सफलता देता है।
4️⃣ एकादश भाव (लाभ भाव) — यह भाव उपलब्धि और प्रतिष्ठा से संबंधित है।
यदि दशमेश और एकादशेश का संबंध हो तो “राजकीय पद प्राप्ति योग” बनता है।
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३. महत्वपूर्ण ग्रह और उनके प्रभाव
☀️ सूर्य — शासन, अधिकार और नेतृत्व का प्रतीक है।
यदि सूर्य केंद्र (1, 4, 7, 10) भाव में बलवान हो तो व्यक्ति में प्रशासनिक गुण होते हैं।
सूर्य और शनि में सामंजस्य होने पर व्यक्ति “प्रशासनिक तंत्र का स्तंभ” बनता है।
🪐 शनि — अनुशासन, नियम और परिश्रम का कारक।
शनि यदि दशम या षष्ठ भाव में बलवान हो तो व्यक्ति कठोर परिश्रम और अनुशासन से ऊँचा पद प्राप्त करता है।
🔥 मंगल — नेतृत्व और निर्णय शक्ति का दाता।
मंगल यदि लग्न या दशम भाव से जुड़ा हो तो व्यक्ति साहसी, निर्णायक और शासकीय स्वभाव का होता है।
📚 गुरु — नीति, न्याय और विवेक का कारक।
गुरु का लग्न या दशम भाव से संबंध होने पर व्यक्ति न्यायप्रिय प्रशासक बनता है।
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४. कुछ प्रमुख योग जो प्रशासनिक पद दिलाते हैं
🔹 राजयोग — जब केंद्र और त्रिकोण के स्वामी आपस में युति या दृष्टि करते हैं।
🔹 राजसत्ताभियोग — सूर्य, मंगल, गुरु और शनि का दशम भाव से संबंध।
🔹 अधिकार योग — सूर्य और दशमेश का संबंध।
🔹 पराक्रम योग — तृतीयेश और दशमेश का बलवान संबंध।
🔹 प्रतियोगिता विजय योग — षष्ठेश बलवान हो और राहु से दृष्ट हो।
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५. दशा और गोचर का महत्व
सिर्फ योग होना पर्याप्त नहीं है — जब इन ग्रहों की दशा या अंतर्दशा आती है, तभी वे योग फलीभूत होते हैं।
उदाहरण के लिए:
सूर्य, मंगल या शनि की दशा के दौरान प्रतियोगी परीक्षा में सफलता।
गुरु या बुध की दशा में इंटरव्यू और चयन की संभावना।
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६. निष्कर्ष
प्रशासनिक सेवा का योग तभी सशक्त बनता है जब व्यक्ति के कर्म, परिश्रम और ग्रह — तीनों मिलकर कार्य करें।
ज्योतिष हमें केवल दिशा देता है, मंज़िल तक पहुँचना व्यक्ति की तपस्या और आत्मबल पर निर्भर करता है।
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🪔 अंत में —
यदि आप यह जानना चाहते हैं कि आपकी जन्मकुंडली में प्रशासनिक सेवा या सरकारी पद के योग हैं या नहीं,
तो आप अपनी पूरी जन्म विवरण (तिथि, समय, स्थान) देकर विस्तृत कुंडली विश्लेषण करवा सकते हैं।
📞 आलोक रंजन त्रिपाठी — ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इन्दौर
📧 alokjitripathi@gmail.com
📱 8319482309
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