शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025

विवाह में होने वाली परेशानियां ज्योतिषी कारण और निवारण



🌹 विवाह में होने वाली परेशानियाँ — ज्योतिषीय कारण और निवारण

(आध्यात्मिक एवं ज्योतिषीय दृष्टिकोण से)


✨ प्रस्तावना

विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों और संस्कृतियों का संगम होता है। यह जीवन का वह पवित्र बंधन है जहाँ प्रेम, विश्वास, सहयोग और समझदारी सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं।
फिर भी अनेक बार वैवाहिक जीवन में मतभेद, तनाव, असंतोष या विवाह में विलंब जैसी समस्याएँ सामने आती हैं।
ज्योतिष शास्त्र इन समस्याओं के कारणों को गहराई से समझाता है और उनके निवारण का सटीक मार्ग भी दिखाता है।


🔶 विवाह में होने वाली परेशानियाँ : ज्योतिषीय कारण

1️⃣ सप्तम भाव की स्थिति

विवाह, जीवनसाथी और दांपत्य सुख का कारक सप्तम भाव है।
यदि यह भाव पापग्रहों (शनि, राहु, केतु, मंगल) से पीड़ित हो या इसका स्वामी नीच, शत्रु राशि या अशुभ भाव में हो,
तो विवाह में विलंब, असंतोष या कलह की स्थिति बनती है।


2️⃣ मंगल दोष (कुज दोष / मंगलीक योग)

यदि जन्मकुंडली में मंगल ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो तो जातक मंगलीक कहलाता है।
ऐसी स्थिति में वैवाहिक जीवन में झगड़े, मतभेद या अलगाव की संभावना बढ़ जाती है।
परंतु यदि दोनों पक्षों की कुंडली में समान दोष हो तो उसका प्रभाव कम हो जाता है।


3️⃣ शनि और राहु की दृष्टि

शनि विलंब का ग्रह है जबकि राहु भ्रम और मानसिक तनाव का।
सप्तम भाव या उसके स्वामी पर इन ग्रहों की दृष्टि होने से
विवाह में देरी, असामंजस्य या गलत चयन जैसी परिस्थितियाँ बनती हैं।


4️⃣ ग्रहों की दशा और अंतर्दशा

कभी-कभी विवाह योग्य आयु में शुभ ग्रहों की दशा न चलने से विवाह टलता जाता है।
शुक्र (पुरुष के लिए) और बृहस्पति (स्त्री के लिए) की अनुकूल दशा में विवाह शीघ्र होता है,
जबकि राहु, केतु या शनि की दशा में बाधाएँ आती हैं।


5️⃣ कुंडली मिलान का अभाव

यदि विवाह से पहले गुण मिलान और दोष परीक्षण ठीक से न किया जाए,
तो नाड़ी दोष, भकूट दोष या ग्रह-विरोध वैवाहिक असंतुलन का कारण बन सकते हैं।


🔷 निवारण (उपाय और समाधान)

1️⃣ ग्रह शांति अनुष्ठान

  • मंगल दोष: हनुमान चालीसा का पाठ, मंगलवार को व्रत, मंगल ग्रह शांति पाठ
  • शनि दोष: शनि महामंत्र जप, शनिवार को दान-पुण्य।
  • राहु-केतु दोष: कालसर्प दोष निवारण पूजा, या राहु-केतु शांति यंत्र की स्थापना।

2️⃣ रत्न धारण (योग्य परामर्श से)

  • शुक्र कमजोर हो — हीरा या ओपल धारण करें।
  • बृहस्पति कमजोर हो — पुखराज धारण करें।
  • मंगल दोष हो — मूंगा धारण किया जा सकता है।

3️⃣ व्रत और पूजन

  • शुक्रवार: माँ पार्वती व माँ लक्ष्मी की आराधना करें।
  • सोमवार: भगवान शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा।
  • अखंड सौभाग्यवती व्रत, करवा चौथ व्रत शुभ फल देता है।

4️⃣ दान और सेवा

  • शुक्र दोष: सफेद वस्त्र, चाँदी, चावल का दान।
  • शनि दोष: काला तिल, तेल, लोहे का दान।
  • मंगल दोष: लाल वस्त्र, गुड़, मसूर दाल का दान।

5️⃣ कुंडली मिलान अनिवार्य

विवाह से पूर्व अष्टकूट मिलान, दोष जांच और दशा संगति अवश्य करानी चाहिए।
यह न केवल पारंपरिक रीति है बल्कि मानसिक व व्यवहारिक समरूपता का वैज्ञानिक आधार भी है।


6️⃣ आध्यात्मिक उपाय

  • प्रतिदिन गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
  • घर का वास्तु संतुलन रखें — विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम दिशा में शयनकक्ष शुभ रहता है।
  • गुलाबी, हल्के पीले और सफेद रंगों का प्रयोग प्रेम और सामंजस्य को बढ़ाता है।

🌺 निष्कर्ष

विवाह का सुख केवल भाग्य पर नहीं, बल्कि आपसी समझ, संयम और आस्था पर भी आधारित है।
ज्योतिष शास्त्र उन ऊर्जाओं को संतुलित करने का मार्ग दिखाता है जो वैवाहिक जीवन में बाधा बनती हैं।
सच्ची निष्ठा और उचित उपायों से ग्रहों की प्रतिकूलता को भी अनुकूल बनाया जा सकता है।
याद रखें — सच्चा प्रेम, संवाद और संयम ही दांपत्य जीवन की सबसे बड़ी सफलता है।


✍️ लेखक :
आलोक रंजन त्रिपाठी
ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इन्दौर
📞 8319482309


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