बुधवार, 24 दिसंबर 2025

नरेंद्र मोदी और भारतीय राजनीति



नरेंद्र मोदी और भारतीय राजनीति

(एक युग, एक विचार और एक प्रभाव)

✍️ लेखक: आलोक रंजन त्रिपाठी
ज्योतिष एवं वास्तु एक्सपर्ट | क्रिएटिव राइटर


भूमिका

भारतीय राजनीति के इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो केवल व्यक्ति नहीं रहते, बल्कि एक युग का प्रतिनिधित्व करने लगते हैं।
इक्कीसवीं सदी के भारत में ऐसा ही एक नाम है— नरेंद्र मोदी

वे केवल भारत के प्रधानमंत्री नहीं हैं,
बल्कि राजनीति की भाषा, शैली, रणनीति और जन-संवाद को बदलने वाले नेता हैं।
उनके समर्थक उन्हें “नए भारत का शिल्पकार” मानते हैं,
तो आलोचक उन्हें “अत्यधिक शक्तिशाली नेतृत्व” का प्रतीक।
पर इन दोनों मतों के बीच एक सच्चाई निर्विवाद है—
नरेंद्र मोदी ने भारतीय राजनीति को स्थायी रूप से बदल दिया है।


साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण यात्रा

नरेंद्र मोदी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ।
चाय बेचने वाले पिता, सीमित संसाधन और ग्रामीण परिवेश—
यह पृष्ठभूमि भारतीय राजनीति में एक नई कथा लेकर आई।

उनकी यात्रा यह साबित करती है कि
भारतीय लोकतंत्र में अब भी
संघर्ष से सत्ता तक का मार्ग संभव है।

यही कारण है कि वे देश के बड़े वर्ग—
विशेषकर मध्यम और निम्न वर्ग—
के लिए आशा का प्रतीक बनते हैं।


राजनीति में नई भाषा और शैली

नरेंद्र मोदी से पहले
भारतीय राजनीति अपेक्षाकृत
औपचारिक, अभिजात और दूरी बनाए रखने वाली थी।

मोदी ने इसे बदला।

  • रेडियो पर “मन की बात”
  • सोशल मीडिया पर सीधा संवाद
  • भाषणों में सरल शब्द, लोक-उदाहरण
  • भावनात्मक अपील और राष्ट्रवाद का स्पष्ट प्रयोग

उन्होंने नेता और जनता के बीच
सीधा संबंध स्थापित किया।

आज भारतीय राजनीति में
संवाद केवल संसद में नहीं,
मोबाइल स्क्रीन पर भी होता है—
और यह परिवर्तन मोदी युग की पहचान है।


निर्णय लेने की राजनीति

नरेंद्र मोदी की राजनीति का सबसे प्रमुख तत्व है—
निर्णायक नेतृत्व (Decisive Leadership)

  • नोटबंदी
  • जीएसटी
  • अनुच्छेद 370 का हटना
  • तीन तलाक़ कानून
  • नई शिक्षा नीति

इन फैसलों से सहमति-असहमति हो सकती है,
पर यह स्वीकार करना होगा कि
मोदी सरकार निर्णय टालने की राजनीति नहीं करती।

इससे भारतीय राजनीति में
एक नई अपेक्षा जन्मी—
कि सरकार स्पष्ट निर्णय ले।


राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक राजनीति

मोदी युग में
राष्ट्रवाद केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं रहा।
यह संस्कृति, इतिहास और पहचान से भी जुड़ गया।

  • अयोध्या राम मंदिर
  • काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
  • उज्जैन महाकाल लोक
  • योग और आयुष का वैश्विक प्रचार

इन प्रयासों ने
भारतीय राजनीति में
सांस्कृतिक पुनर्जागरण की बहस को केंद्र में ला दिया।

समर्थकों के लिए यह
“सांस्कृतिक आत्मसम्मान” है,
तो आलोचकों के लिए
“धार्मिक राजनीति”।

पर यह बहस स्वयं सिद्ध करती है
कि मोदी राजनीति केवल सत्ता नहीं,
विचारधारा भी है।


अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में
भारत की वैश्विक छवि में भी परिवर्तन आया।

  • G20 की अध्यक्षता
  • अमेरिका, यूरोप, जापान से मजबूत रिश्ते
  • प्रवासी भारतीयों से सीधा संवाद
  • भारत को “विश्वगुरु” की अवधारणा से जोड़ना

पहली बार भारतीय राजनीति ने
आत्मविश्वास के साथ कहा—
“भारत सुनने वाला नहीं, नेतृत्व करने वाला देश है।”


आलोचनाएँ और प्रश्न

कोई भी लोकतंत्र
बिना आलोचना के जीवित नहीं रह सकता।

मोदी सरकार पर भी प्रश्न उठे—

  • विपक्ष की भूमिका कमजोर होना
  • मीडिया की स्वतंत्रता
  • संस्थाओं की स्वायत्तता
  • असहमति के प्रति कठोर रवैया

ये प्रश्न गंभीर हैं
और लोकतंत्र के लिए आवश्यक भी।

यह कहना अनुचित होगा कि
मोदी राजनीति केवल प्रशंसा योग्य है।
पर यह भी उतना ही सत्य है कि
उन्होंने राजनीति को
जनकेंद्रित और परिणामोन्मुख बनाया।


भारतीय राजनीति पर स्थायी प्रभाव

नरेंद्र मोदी के बाद
भारतीय राजनीति पहले जैसी नहीं रह सकती।

अब—

  • नेता को संवाद करना होगा
  • सरकार को निर्णय लेने होंगे
  • विपक्ष को वैकल्पिक नेतृत्व गढ़ना होगा
  • राजनीति को केवल वंशवाद से नहीं चलाया जा सकेगा

मोदी ने
राजनीति की शर्तें बदल दी हैं।


निष्कर्ष

नरेंद्र मोदी
भारतीय राजनीति का केवल एक अध्याय नहीं,
एक पूरा युग हैं।

वे न तो पूर्णतः देवता हैं,
न पूर्णतः खलनायक।
वे एक ऐसे नेता हैं
जिन्होंने राजनीति को
जन-आकांक्षाओं से जोड़ा।

इतिहास उनका मूल्यांकन करेगा—
पर वर्तमान यह मानने को बाध्य है कि
नरेंद्र मोदी के बिना
आधुनिक भारतीय राजनीति की कल्पना अधूरी है।


समापन पंक्ति

“राजनीति जब विचार बन जाए,
तो नेता केवल शासक नहीं,
कालखंड का प्रतिनिधि बन जाता है—
नरेंद्र मोदी उसी परिवर्तन का नाम हैं।”

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