भक्ति मुक्तक कवयित्री पुष्पलता राठौर

कृपा मयी (मुक्तक)
कृपा ऐसी करो मां भक्ति अनुभव गम्य हो जाये।
तुम्हारी शरण में आकर के प्राणी धन्य हो जाये।।
न जाने कितने अवगुण से भरा कलुषित ह्रदय मेरा।
तेरे चरणों में आकर सारे अवगुण क्षम्य हो जाये।।
      × × × ×
तुम्हीं दुर्गा तुम्हीं काली तुम्हीं रण चण्डिका माता।
तुम्ही संसार की पोषक बनी महा मण्डिका माता।
सकल सृष्टि की संहारक विदारक कष्ट सुख कारक।
तुम्हीं कलि काल की देवी तुम्हीं हो घण्टिका माता।। 
       × × × ×
तुम्हारी दिव्य दृष्टि में छिपी है शक्ति की सुविधा।
हृदय सब द्वार पट खोलो मिटा दो भक्त की दुविधा।
नेत्र अन्यत्र ना देखें नयन अभिमंत्र कर दो मां।
तुम्हीं हो हवन पूजन अर्चना और अग्नि की समिधा।।
पुष्प लता राठौर

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
बहुत सुंदर। आभार

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