ग़ज़ल जिंदगी हमनशी बन गई।
ज़िन्दगी हमनशी बन गई।
जब हमारी ख़ुशी बन गई।
मुस्कराहट पे परदा किये।
सादग़ी ख़ुशनसी बन गई।।
जब गुलिस्तां महकने लगा।
मस्त रातें हसीं बन गई।।
बहकी नज़रों से देखा मुझे।
आंख ही मयक़शी बन गई।।
प्यार की इन्तहा तब हुई।
मौत ही ख़ुदकुशी बन गई।।
पुष्प लता राठौर
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