ब्रम्हचर्य का मूल अर्थ गीता में

ब्रह्मचारी वीर्य रोककर रखनेवाले को नहीं कहते हैं; क्योंकि जैसे मलको रोककर नहीं रखा जा सकता है, वैसे ही इस वीर्यको भी रोककर नहीं रखा जा सकता है। युवावस्था में वीर्य को रोका ही नहीं जा सकता है और बाल्यावस्था में वीर्य का पतन हो ही नहीं सकता है - यह सब तो प्राकृतिक नियम ही होता है। इस वीर्यके विषयमें किसी भी प्रकारका अभिमान करना भी व्यर्थ ही होता है।
    ब्रह्मचारीके व्रतमें स्थित रहनेवाले को ही ब्रह्मचारी कहते हैं। अर्थात् -
        प्रशान्तात्मा  विगतभीर्ब्रह्मचारिव्रते  स्थितः।
        मनः संयम्य मच्चित्तो युक्त आसीत मत्परः।।
    ब्रह्मचारीके व्रतमें स्थित, भयरहित तथा भलीभाँति शान्त अन्तःकरणवाला सावधान योगी मनको रोककर मुझमें चित्तवाला और मेरे परायण होकर स्थित होवे।। गीता ६/१४।।
    "ब्रह्मचारीके व्रतमें स्थित" होना भी यही सिद्ध करता है कि जो ब्रह्ममें स्थित रहते हैं, वही ब्रह्मचारी होते हैं। 
    इसीलिये ब्रह्मचारी उसी को कहते हैं; जो ब्रह्मचर्यका आचरण करते हैं। अर्थात् -
            यदक्षरं   वेदविदो   वदन्ति 
            विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः।
            यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति 
            तत्ते पदं  सङ्ग्रहेण  प्रवक्ष्ये।।
    वेदके जाननेवाले विद्वान् जिस सच्चिदानन्दघनरूप परमपदको अविनाशी कहते हैं, आसक्तिरहित यत्नशील संन्यासी महात्माजन जिसमें प्रवेश करते हैं और जिस परमपदको चाहनेवाले ब्रह्मचारी लोग ब्रह्मचर्यका आचरण करते हैं, उस परमपदको मैं तेरे लिये संक्षेपसे कहूँगा।। गीता ८/११।।
    ब्रह्मके आचरण को ही ब्राह्मी स्थितिमें स्थित होना भी कहा गया है; जिससे कि योगी पुरुष ब्रह्मानन्दको प्राप्त होते हैं। अर्थात् -
        विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्चरति निःस्पृहः।
        निर्ममो निरहङ्कारः स शान्तिमधिगच्छति।।
    जो पुरुष सम्पूर्ण कामनाओंको त्यागकर ममतारहित, अहंकाररहित और स्पृहारहित हुआ विचरता है, वही शान्तिको प्राप्त होता है अर्थात् वह शान्तिको प्राप्त है।।७१।।
        एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति।
        स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि  ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति।।
    हे अर्जुन! यह ब्रह्मको प्राप्त हुए पुरुषकी स्थिति है, इसको प्राप्त होकर योगी कभी भी मोहित नहीं होता और अन्तकालमें भी इस ब्राह्मी स्थितिमें स्थित होकर ब्रह्मानन्दको प्राप्त हो जाता है।।७२।। (गीता अ० २)
   

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मैं और मेरा आकाश

, आंखों का स्वप्न प्रेरक कहानी

नरेंद्र मोदी कर्मठ कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री तक