भक्ति गीत कवयित्री निरूपमा त्रिवेदी
तेरे नाम की ज्योत जलाऊं।
माता कीर्तन तेरा गांऊं ।।
जग जननी तुम नित्य बिहारिणि।
सब सुख कारिणि दुष्ट विदारिणि।
चरणों में मैं बलि बलि जाऊं
माता,,,,,
सारा जग है तेरी माया
तुझमें सारा विश्व समाया
चरणों में तेरे शीश नवाऊं
माता,,,,,
श्रद्धा से नतमस्तक होकर
गीत सुनाती हूं मैं रोकर
निशदिन महिमा तेरी गाऊं।।
माता,,,,
जग का रिश्ता झूठा सारा
तेरे बिन है कौन सहारा
चैन कहां मैं जाकर पाऊं
माता,,,,
करुणा की हो तुम अवतारी
संकट मुक्त करो तुम भारी
छोड़ तेरा दर किस दर जाऊं।।
माता ,,,,
निरूपमा त्रिवेदी इन्दौर
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