ग़ज़ल पसीना जब बहाकर ज़िंदगी को तुम दिशा दोगे।आलोक रंजन इन्दौरवी

पसीना जब बहाकर ज़िंदगी को तुम दिशा दोगे।
सफ़र आसान होगा गुरबतों को तुम मिटा दोगे।।

कोई मंजिल नहीं होगी जो हासिल कर न पाओ तुम।
ज़मीं पर आसमां को हाथ में लेकर झुका दोगे।।

तुम्हारा फ़र्ज़ जो भी है उसे दिल जान से करना।
न होगा कुछ भी नामुमकिन कसम गर तुम उठा लोगे।।

हजारों आंख है उसकी नज़र दुनियां से बेहतर है।
हजारों कोशिशें करके भी उससे क्या छुपा लोगे।।

कोई मासूम दरवाजे पे भूखा आ गया दिखता।
तुम्हारा पुन्य जागेगा उसे खाना खिला दोगे।।

आलोक रंजन इन्दौरवी

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
बहुत खूब
बधाई हो आपको त्रिपाठी ji

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