मैं और मेरा आकाश

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🌟 मैं और मेरा आकाश: लेखन और ज्योतिष का संगम

✍️ आलोक रंजन त्रिपाठी, इन्दौर (मध्य प्रदेश)

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कभी-कभी जीवन दो अलग दिशाओं से हमें बुलाता है — एक दिशा मन को सोचने पर मजबूर करती है, दूसरी आत्मा को महसूस करने पर। मेरे जीवन में ये दोनों दिशाएँ — लेखन और ज्योतिष — एक साथ चलीं, और मैंने पाया कि दोनों का अंतिम पड़ाव एक ही है — सत्य और आत्मज्ञान।

इन्दौर जहां मैं रहता हू वहाँ आधुनिकता की रफ़्तार और परंपरा की जड़ें एक साथ सांस लेती हैं। बचपन से ही शब्दों और आकाश दोनों ने मुझे आकर्षित किया। जब दोस्त क्रिकेट के मैदान में थे, मैं कभी किसी किताब में डूबा होता या आसमान में चमकते तारे गिन रहा होता।

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प्रारंभ: शब्दों से ग्रहों तक

मुझे याद है, जब मैंने पहली बार पं. हरिहरन शर्मा जी की पुस्तक “भविष्य ज्योतिष रहस्य” हाथ में ली थी, तो उसमें लिखा एक वाक्य मुझे भीतर तक छू गया —

> “जो अपने ग्रहों को समझ लेता है, वह अपने भीतर के ब्रह्मांड को समझ लेता है।”

उसी दिन से मैंने तय किया कि मैं अपने जीवन के ग्रहों को भी शब्दों में ढालूंगा। मेरे लिए ग्रह, नक्षत्र, और भाव — केवल आकाशीय बिंदु नहीं थे, बल्कि ये मेरे जीवन की कहानियों के पात्र थे।

हर ग्रह एक चरित्र बन गया — शनि संयम सिखाता, गुरु ज्ञान देता, शुक्र सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक बन गया, और चंद्रमा — भावनाओं का दर्पण।

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लेखन: आत्मा का संवाद

लेखन मेरे लिए कभी भी केवल शब्दों का खेल नहीं रहा। यह मेरी आत्मा का संवाद है, जहाँ मैं अपने भीतर उठते प्रश्नों का उत्तर ढूंढता हूँ।

कभी मैं ग़ज़ल लिखता हूँ, तो वह किसी भावनात्मक ग्रह दशा का परिणाम होती है।
कभी कोई कहानी लिखता हूँ, तो वह उस ग्रह की कथा होती है जो मेरे मन में किसी विशेष समय सक्रिय हुआ हो।

मेरे लिए लेखन और ज्योतिष, दोनों ही अंतर्मन को जानने के उपकरण हैं। एक कलम से मन का नक्शा बनता है, दूसरा कुंडली से आत्मा का।

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ज्योतिष: विज्ञान नहीं, अनुभव की कविता

बहुत लोग कहते हैं कि ज्योतिष अंधविश्वास है, पर मैं कहता हूँ — ज्योतिष जीवन की कविता है।
यह कोई गणितीय चार्ट मात्र नहीं, बल्कि आत्मा और कर्म का संवाद है।

जब मैं किसी व्यक्ति की कुंडली देखता हूँ, तो मुझे उसमें उसके लेखन के पात्र दिखने लगते हैं।
कोई व्यक्ति मंगल प्रधान है — उसमें संघर्ष की कहानी है।
कोई चंद्र प्रधान है — उसमें संवेदना और कविता का संसार है।
कोई बुध प्रधान है — तो वह शब्दों का जादूगर होता है।

मैंने समझा कि हर इंसान की कुंडली एक “कहानी” है, जो उसके कर्म, संस्कार और भावनाओं से लिखी जाती है।
और तब मुझे एहसास हुआ कि मैं केवल लेखक नहीं, बल्कि एक कथा-पाठक ज्योतिषी भी हूँ।

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शब्दों में ग्रहों की रोशनी

जब मैं लिखता हूँ, तो मेरे भीतर का ज्योतिषी यह देखता है कि कौन-सा ग्रह आज सक्रिय है।
यदि शुक्र की महादशा है, तो मेरी लेखनी में प्रेम और सौंदर्य उतर आता है।
यदि शनि सक्रिय है, तो शब्द गंभीर और गहराई लिए होते हैं।
यदि बुध प्रबल है, तो मेरे वाक्य तर्क और बुद्धि से भरे होते हैं।

मेरे लिए लेखन केवल मन की रचना नहीं, बल्कि आकाशीय ऊर्जा का प्रवाह है।
कभी-कभी लगता है कि कोई ग्रह मेरी कलम पकड़ कर खुद लिख रहा है।
मैं बस माध्यम हूँ — शब्द उसके हैं, अनुभूति मेरी।

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आध्यात्मिकता का स्पर्श

ज्योतिष ने मुझे सिखाया कि हर दुख, हर संघर्ष, किसी बड़े परिवर्तन की तैयारी है।
जब राहु भ्रमित करता है, तो वह आत्म-परीक्षण का समय है।
जब केतु सब कुछ छीनता है, तो वह विरक्ति की शिक्षा देता है।
इन्हीं अनुभवों ने मेरे लेखों को आध्यात्मिक रंग दिया।

अब मैं केवल कहानी नहीं लिखता,
मैं आत्मा की यात्रा लिखता हूँ — जहाँ पात्र बाहर की दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर ब्रह्मांड खोजता है।

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प्रेरणा: शब्दों से आत्मा तक

मेरे कई पाठक कहते हैं —
“आपके लेखों में कोई ऊर्जा होती है, पढ़ते-पढ़ते मन शांत हो जाता है।”
मेरा उत्तर एक ही होता है —
“क्योंकि मैं शब्दों में ग्रहों की चेतना डाल देता हूँ।”

मैं मानता हूँ कि लेखन तब तक अधूरा है,
जब तक उसमें किसी की पीड़ा को समझने की शक्ति न हो।
और ज्योतिष ने मुझे यही सिखाया —
हर व्यक्ति अपने ग्रहों के साथ संघर्ष कर रहा है।

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जीवन-दर्शन: लेखन ही साधना है

आज जब मैं कलम उठाता हूँ, तो मुझे लगता है जैसे मैं किसी मंदिर की घंटी बजा रहा हूँ।
हर शब्द एक मंत्र है,
हर वाक्य एक प्रार्थना।

मेरे लिए लेखन कोई पेशा नहीं, बल्कि साधना है —
जहाँ मैं हर अक्षर में भगवान का नाम देखता हूँ,
हर भावना में ग्रहों की चाल महसूस करता हूँ,
और हर पाठक में स्वयं को पहचानता हूँ।

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निष्कर्ष: आकाश अब भीतर है

समय के साथ मैंने समझा कि ज्योतिष बाहर के आकाश को नहीं बताता,
वह भीतर के आकाश को प्रकाशित करता है।

और लेखन —
वह उस प्रकाश को शब्दों में बाँध देता है,
ताकि कोई और आत्मा भी उस रोशनी को महसूस कर सके।

मैं आलोक रंजन त्रिपाठी, इन्दौर की धरती पर जन्मा एक छोटा-सा लेखक,
जिसकी कलम आकाश से बातें करती है।

मेरे लिए लेखन कोई व्यवसाय नहीं —
यह प्रार्थना है,
यह ज्योतिष का अर्थ है,
यह आत्मा की यात्रा है।

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“ग्रहों का संगीत और शब्दों का प्रकाश — यही है मेरे जीवन का असली संगम।”
— आलोक रंजन त्रिपाठी

टिप्पणियाँ

Alok ranjan tripathi ने कहा…
आप सभी का स्वागत है।
बेनामी ने कहा…
Very nice 👍
बेनामी ने कहा…
Bahut badhiya
बेनामी ने कहा…
Bahut badhiya
बेनामी ने कहा…
Test
बेनामी ने कहा…
बहुत सुन्दर

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