राजनीति में स्वार्थ रहित होना क्या संभव है।



राजनीति में स्वार्थ रहित होना: क्या यह संभव है?

लेखक: आलोक रंजन त्रिपाठी


परिचय

राजनीति हमारे समाज का वह क्षेत्र है जहाँ शक्ति, निर्णय और जिम्मेदारी का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। यह न केवल देश के भविष्य को आकार देता है, बल्कि लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों पर भी गहरा प्रभाव डालता है। परंतु अक्सर राजनीति में व्यक्तिगत स्वार्थ, सत्ता की लालसा और महत्वाकांक्षा समाज की भलाई के मार्ग में बाधक बन जाती है। ऐसे में सवाल उठता है—क्या राजनीति में स्वार्थ रहित होना वास्तव में संभव है?


स्वार्थ का स्वरूप

स्वार्थ केवल धन या सत्ता की लालसा तक सीमित नहीं। यह कई रूपों में प्रकट हो सकता है—व्यक्तिगत पहचान की तलाश, राजनीतिक प्रभाव की आकांक्षा, या किसी विशेष समूह के लाभ की इच्छा। राजनीति में यह स्वाभाविक है कि नेता अपने समुदाय, पार्टी या देश के हित में काम करना चाहते हैं। परंतु जब यह केवल व्यक्तिगत लाभ या लोकप्रियता के लिए हो, तो यह स्वार्थ बन जाता है।

“राजनीति का सर्वोत्तम रूप वह है जिसमें सेवा और त्याग की भावना सर्वोपरि हो।”
— महात्मा गांधी

इतिहास में कई नेता ऐसे रहे हैं जिन्होंने स्वार्थ रहित राजनीति का उदाहरण पेश किया। महात्मा गांधी, चाणक्य, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने यह दिखाया कि अगर उद्देश्य में निष्ठा हो, तो राजनीति में भी सेवा भाव संभव है।


आधुनिक राजनीति की चुनौतियाँ

आज की राजनीति में स्वार्थ रहित होना चुनौतीपूर्ण प्रतीत होता है। वैश्विकरण, मीडिया का प्रभाव, राजनीतिक दलों की प्रतिस्पर्धा और व्यक्तिगत लाभ की आकांक्षा ने राजनीति को स्वार्थप्रधान बना दिया है। राजनीतिक निर्णय कभी-कभी सिर्फ वोटों, लोकप्रियता या व्यक्तिगत लाभ के लिए लिए जाते हैं। इससे जनता में निराशा और अविश्वास उत्पन्न होता है।


स्वार्थ रहित राजनीति की दिशा

1. पारदर्शिता और जवाबदेही
नेता अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति जवाबदेह हों और उनके निर्णय स्पष्ट तथा न्यायसंगत हों। राजनीतिक शिक्षा और नैतिक मूल्यों का प्रशिक्षण युवा नेताओं के लिए आवश्यक है।

2. जनता की सक्रिय भागीदारी
लोकतंत्र केवल नेताओं तक सीमित नहीं; यह जनता के जागरूक सहभागिता से जीवंत होता है। जब नागरिक अपने नेताओं की नीतियों की निगरानी करते हैं, तो नेता स्वार्थपूर्ण निर्णय लेने में हिचकिचाते हैं।

3. नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
राजनीति केवल सत्ता और नीति का खेल नहीं, बल्कि यह समाज की सेवा का माध्यम भी है। जब नेता अपने कार्यों में सेवा भाव, करुणा और न्याय अपनाते हैं, तो व्यक्तिगत स्वार्थ कम होता है।

4. संस्थागत सुधार
दल और सरकारी ढांचे में पारदर्शिता, अनुशासन और आंतरिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए। नीति निर्माण में नागरिक समाज और स्वतंत्र संस्थाओं की भागीदारी आवश्यक है।


लाभ और प्रभाव

स्वार्थ रहित राजनीति से समाज में विश्वास और सहयोग की भावना मजबूत होती है। भ्रष्टाचार, nepotism और अन्याय की घटनाओं में कमी आती है। राष्ट्र का विकास तेजी से और न्यायसंगत तरीके से होता है।

“स्वार्थ रहित नेतृत्व समाज में आशा और विश्वास का प्रतीक होता है।”
— आलोक रंजन त्रिपाठी


निष्कर्ष

राजनीति में स्वार्थ रहित होना चुनौतीपूर्ण, पर संभव लक्ष्य है। यह केवल नेता की इच्छाशक्ति पर निर्भर नहीं, बल्कि समाज, जनता, संस्थानों और मूल्य प्रणाली का संयुक्त प्रयास मांगता है।

स्वार्थ रहित राजनीति केवल सत्ता की सेवा नहीं, बल्कि मानवता और समाज की सेवा है। जब हम इस दिशा में प्रयास करते हैं, तब देश का भविष्य उज्जवल होता है और राजनीति सम्मानित और नैतिक पेशा बनती है।

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