कुंडली में धन योग
आलोक रंजन त्रिपाठी ज्योतिष एवं वास्तु एक्सपर्ट
जन्म कुंडली में धन योग ऐसे शुभ संयोग होते हैं जो व्यक्ति को आर्थिक रूप से समृद्ध और सफल बनाते हैं। जब धन भाव (दूसरा भाव), लाभ भाव (ग्यारहवाँ भाव) या अर्थ त्रिकोण (दूसरा, पाँचवाँ और नौवाँ भाव) के स्वामी आपस में शुभ संबंध बनाते हैं, तो धन योग का निर्माण होता है।
यदि गुरु, शुक्र या बुध इन भावों में स्थित हों या इनसे दृष्टि संबंध रखें, तो व्यक्ति को स्थायी और बढ़ता हुआ धन प्राप्त होता है। लग्नेश और धनेश के बीच योग बनना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, जब लाभेश (ग्यारहवें भाव का स्वामी) केंद्र या त्रिकोण में हो, तो व्यक्ति को व्यापार, नौकरी या निवेश से अच्छा लाभ मिलता है।
धन योग केवल पैसा देने वाला नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति को समझदारी से धन उपयोग करने की बुद्धि भी देता है। अगर इन योगों पर शनि, राहु या केतु का अशुभ प्रभाव न हो, तो व्यक्ति समाज में आर्थिक रूप से सम्मानित स्थान प्राप्त करता है।
इसलिए कहा गया है—“कर्म और ग्रह दोनों जब साथ दें, तब ही भाग्य चमकता है।”
धन योग व्यक्ति की मेहनत और ग्रहों की कृपा का संगम होता है।
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