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अटेंशन की प्यारी ख्वाहिश, एक पारिवारिक कहानी

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🌸 अटेंशन की प्यारी ख्वाहिश लेखक: आलोक रंजन त्रिपाठी, ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इंदौर --- 🏠 सुमित्रा का व्यस्त जीवन सुमित्रा का जीवन हमेशा व्यस्तता और प्रेम के बीच बीतता था। इंदौर के मध्यम वर्गीय घर में उसका परिवार पाँच सदस्यीय था—पति रमेश, बेटा अभिषेक, बेटी साक्षी, सास गीता और बहन रचना। हर कोई अपनी दुनिया में व्यस्त रहता, मगर सुमित्रा का मन हमेशा परिवार की खुशियों और उनके सुख-दुःख में बँधा रहता। --- 🍳 सुबह की थकान और खामोश पीड़ा सुबह उठते ही सुमित्रा नाश्ता बनाती, बच्चों को तैयार करती, घर के काम निपटाती और फिर अपने पति और परिवार की खुशियों का ध्यान रखती। उसके हाथ हर काम में निपुण थे, मगर उसके भीतर अक्सर सिर दर्द, हाथ-पांव में अकड़न और थकान रहती। वह जानती थी कि परिवार उसे प्यार करता है, लेकिन उसके दिल में एक खामोश ख्वाहिश हमेशा रहती—थोड़ी अटेंशन। बस यही छोटी सी बात उसे हर दिन जीने की ऊर्जा देती। --- ☀️ रविवार की सुबह और छोटी खुशियाँ एक रविवार की सुबह, किचन में व्यस्त सुमित्रा अचानक सिर दर्द से चुपचाप कुर्सी पर बैठ गई। सास गीता ने तुरंत देखा और पास आकर पूछा, “सुमित्रा, क्या हुआ?” स...

कुंडली में मंगल राहू योग और प्रभाव

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“— आलोक रंजन त्रिपाठी, ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इन्दौर”  👇 🌕 मंगल राहु योग : जीवन में उथल–पुथल का संकेत 🔶 भूमिका भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का आपसी संबंध अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना गया है। प्रत्येक ग्रह मनुष्य के जीवन में एक विशिष्ट ऊर्जा लेकर आता है। जब यह ऊर्जाएँ एक-दूसरे के साथ संयोजन बनाती हैं, तो उसका प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव, कर्म और भाग्य पर गहराई से पड़ता है। इन्हीं विशेष योगों में से एक है — मंगल राहु योग , जिसे कभी-कभी अंगारक योग भी कहा जाता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, आकस्मिक उतार–चढ़ाव और अद्भुत शक्ति का द्योतक होता है। 🔶 मंगल का प्रभाव मंगल ग्रह को ज्योतिष में ऊर्जा, साहस, पराक्रम और कर्म का प्रतीक माना गया है। यह व्यक्ति में हिम्मत, निर्णय–क्षमता और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जब मंगल शुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति निर्भीक, नेतृत्व–गुणों से सम्पन्न और कर्मठ बनता है। किंतु यही मंगल यदि अशुभ ग्रहों से ग्रस्त हो जाए, तो क्रोध, आवेग, हिंसा या अधीरता जैसी प्रवृत्तियाँ प्रबल हो जाती हैं। 🌺 संदेश १: “क्रोध में लिया गया...

अहंकार -दिखावे की ताकत

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अहंकार: “दिखावे की ताकत” लेखक: आलोक रंजन त्रिपाठी, ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ अजय गाँव के पास ही रहने वाला युवक था। वह हमेशा दूसरों की नजरों में बड़ा और खास दिखना चाहता था। हर काम में उसे अपनी श्रेष्ठता साबित करनी होती थी। यह अहंकार उसे इतना घेरे रहता कि वह अपने परिवार और मित्रों की सलाह तक सुनता नहीं था। एक दिन गाँव में सामाजिक कार्य का आयोजन हुआ। सब लोग मिलकर गाँव की साफ-सफाई, वृक्षारोपण और छोटे-छोटे निर्माण कार्य कर रहे थे। अजय ने सोचा, “इस बार मैं सबसे अलग और सबसे बड़ा दिखूँगा।” उसने सबसे महंगे वस्त्र पहन लिए और सबसे ऊँची सीढ़ियों पर चढ़कर काम करना शुरू कर दिया। उसकी चाल और हाव-भाव केवल यह दिखा रहे थे कि वह बाकी सभी से श्रेष्ठ है। गाँव वाले धीरे-धीरे हँसने लगे। बुजुर्गों ने कहा, “देखो, कितना अहंकारी बन बैठा है। खुद तो काम नहीं कर रहा, बस दिखावा कर रहा है।” अजय को यह सुनकर क्रोध आया। उसने और भी जोर लगा दिया। लेकिन जैसे ही एक बड़ा ढांचा उसने खुद बनाने की कोशिश की, वह ढह गया और अजय बाल-बाल बचा। पूरा गाँव जोर-जोर से हँस पड़ा। अजय सोचने लगा, “कम से कम अब सब मेरी ताकत और साह...

तसब्बुर के साये ग़ज़ल संग्रह पुस्तक समीक्षा

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“तसब्बुर के साए” – ग़ज़ल संग्रह की विस्तृत समीक्षा: एक नई दृष्टिकोण की ओर लेखक: आलोक रंजन त्रिपाठी समीक्षा: रामाश्रय मिश्र मृदुल “तसब्बुर के साए” केवल ग़ज़लों का संग्रह नहीं है; यह हिंदी साहित्य में एक भावनात्मक, संवेदनशील और गहन अनुभव है। यह संग्रह पाठक को जीवन की सौंदर्यपूर्ण गहराइयों, प्रेम की सूक्ष्मताओं और मानवीय संवेदनाओं से परिचित कराता है। आलोक रंजन त्रिपाठी ने अपनी लेखनी के माध्यम से ऐसा चित्रण किया है, जो पाठक को न केवल पढ़ने, बल्कि महसूस करने और जीवन की वास्तविकताओं को समझने के लिए प्रेरित करता है। भावनाओं की गहराई और सादगी संग्रह की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी भावनाओं की गहराई और सरलता है। लेखक ने हर शेर में ऐसे भाव समाए हैं कि पाठक स्वयं को हर शेर में पहचान सके। प्रेम, विरह, तन्हाई और जीवन के दर्द की अनुभूति इतनी सहजता से प्रस्तुत की गई है कि पाठक प्रत्येक ग़ज़ल में अपने अनुभवों और यादों का प्रतिबिंब खोजता है। उदाहरण: “जो तुम भावना में बहे जा रहे हो, बहुत ग़म यहां पर सहे जा रहे हो।” यह शेर मानवीय जीवन के संघर्ष, अंतर्विरोध और भावनाओं की तीव्रता को स्पष्ट ...

राम का चरित्र आज के परिपेक्ष में।

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राम का चरित्र आज के परिप्रेक्ष्य में लेखक: आलोक रंजन त्रिपाठी, ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ, इन्दौर परिचय राम केवल एक पौराणिक नायक नहीं, बल्कि आदर्श पुरुष और नेतृत्व का प्रतीक हैं। उनका जीवन आज भी समाज और व्यक्तिगत जीवन में नैतिकता, करुणा और न्याय के महत्व की सीख देता है। “राम का जीवन दिखाता है कि सत्य, धर्म और करुणा के मार्ग पर चलना ही स्थायी सफलता की कुंजी है।” — आलोक रंजन त्रिपाठी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी राम ने चाहे राजा का पद संभाला हो या वनवास में जीवन बिताया हो, हमेशा सत्य और धर्म का पालन किया। आज के समय में जब कई लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए छल-कपट अपनाते हैं, राम का यह आदर्श हमें बताता है कि ईमानदारी और नैतिकता से ही स्थायी सफलता प्राप्त होती है । त्याग और करुणा राम ने अपने व्यक्तिगत सुख और आराम को त्याग कर पिता के आदेश का पालन किया। यह आज के संदर्भ में सिखाता है कि समाज और परिवार के हित के लिए स्वार्थ पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। उनकी करुणा केवल परिवार तक सीमित नहीं थी; उन्होंने आम जनता और असहाय लोगों के प्रति भी संवेदनशीलता दिखाई। नेतृत्व औ...

राजनीति में स्वार्थ रहित होना क्या संभव है।

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राजनीति में स्वार्थ रहित होना: क्या यह संभव है? लेखक: आलोक रंजन त्रिपाठी परिचय राजनीति हमारे समाज का वह क्षेत्र है जहाँ शक्ति, निर्णय और जिम्मेदारी का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। यह न केवल देश के भविष्य को आकार देता है, बल्कि लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों पर भी गहरा प्रभाव डालता है। परंतु अक्सर राजनीति में व्यक्तिगत स्वार्थ, सत्ता की लालसा और महत्वाकांक्षा समाज की भलाई के मार्ग में बाधक बन जाती है। ऐसे में सवाल उठता है—क्या राजनीति में स्वार्थ रहित होना वास्तव में संभव है? स्वार्थ का स्वरूप स्वार्थ केवल धन या सत्ता की लालसा तक सीमित नहीं। यह कई रूपों में प्रकट हो सकता है—व्यक्तिगत पहचान की तलाश, राजनीतिक प्रभाव की आकांक्षा, या किसी विशेष समूह के लाभ की इच्छा। राजनीति में यह स्वाभाविक है कि नेता अपने समुदाय, पार्टी या देश के हित में काम करना चाहते हैं। परंतु जब यह केवल व्यक्तिगत लाभ या लोकप्रियता के लिए हो, तो यह स्वार्थ बन जाता है। “राजनीति का सर्वोत्तम रूप वह है जिसमें सेवा और त्याग की भावना सर्वोपरि हो।” — महात्मा गांधी इतिहास में कई नेता ऐसे रहे हैं...

अधूरा प्यार लघुकथा

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लघुकथा: अधूरा प्यार लेखक – आलोक रंजन त्रिपाठी, ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ रात की ठंडी हवा खिड़की से भीतर आ रही थी। मेज पर अधूरी चिट्ठी और बुझता हुआ दीपक उस अधूरे रिश्ते की तरह प्रतीक्षा में था, जो कभी पूरी न हो सका। आर्या ने कई बार सोचा कि वह यह पत्र भेज दे, पर हर बार शब्दों के साथ उसकी आँखें भीग जातीं। कभी वही पत्र उसके प्रेम का प्रतीक था, अब पश्चाताप का साक्षी बन चुका था। आर्या और अर्पित — दो आत्माएँ जो एक-दूसरे के बिना अधूरी थीं, पर समाज की मर्यादाओं और परिस्थितियों ने उनके बीच दीवार खड़ी कर दी। कॉलेज के दिनों का वह सच्चा प्यार, जो किसी कसम या वचन पर नहीं, बल्कि एक सादे विश्वास पर टिका था — वक्त की आँधी में बिखर गया। अर्पित ने आर्या से कहा था, “अगर वक्त ने साथ दिया तो मैं लौटकर ज़रूर आऊँगा।” वक्त तो आया, मगर अर्पित नहीं। उसने अपनी ज़िम्मेदारियों के आगे प्रेम को स्थगित कर दिया। आर्या ने इंतज़ार किया — मौसम बदलते गए, पर उसकी उम्मीद नहीं बदली। सालों बाद, एक दिन मंदिर के प्रांगण में आर्या ने उसे देखा — बाल सफ़ेद, चेहरे पर समय की रेखाएँ, पर वही अपनापन आँखों में झलकता हुआ...

भूत और भ्रम लघुकथा आलोक रंजन

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भूत और भ्रम  ----------------- लघुकथा    अँधेरी रात और पुरानी हवेली – ये दो चीज़ें थीं जो गाँव के हर व्यक्ति के मन में एक अनजाना डर पैदा करती थीं। इस गाँव का नाम था रामपुर, और पुरानी हवेली गाँव के एक छोर पर बरगद के विशाल पेड़ के नीचे खड़ी थी। कहा जाता था कि हवेली में एक ज़माने में ज़मींदार का परिवार रहता था, जिसने किसी के साथ बहुत बुरा किया था, और मरने के बाद उनकी आत्मा वहीं भटकती है। गाँव के बच्चे रात होने से पहले ही अपने घरों में दुबक जाते थे। उनकी दादी-नानियाँ उन्हें हवेली के भूतों की कहानियाँ सुनाकर डराती थीं। एक कहानी तो ख़ासकर बहुत प्रसिद्ध थी – हवेली के अंदर एक तहख़ाना है, जिसमें ज़मींदार का ख़ज़ाना छुपा है, लेकिन उस ख़ज़ाने की रखवाली ज़मींदार की भूतनी पत्नी करती है। जो भी रात में उस तरफ़ जाता, उसे अजीब-सी आवाज़ें और परछाइयाँ दिखाई देती थीं। उसी गाँव में एक युवक था, जिसका नाम था विजय। विजय बाक़ी सब से अलग था। वह पढ़ा-लिखा और तर्कवादी था। उसे भूतों की कहानियों पर ज़रा भी यक़ीन नहीं था। वह हमेशा गाँव वालों को समझाता कि यह सब मन का वहम है, लेकिन कोई उसकी बात नहीं सुनत...

नरेंद्र मोदी कर्मठ कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री तक

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नरेंद्र मोदी   एक विचारक कर्मठ कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री तक   लेखक: आलोक रंजन त्रिपाठी   ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ नरेंद्र मोदी आज के भारत के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने विचारों, कर्मठता और दूरदर्शिता से न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में अपने देश की पहचान को ऊँचाई तक पहुँचाया है। उनके नेतृत्व में भारत ने विकास, आत्मनिर्भरता और वैश्विक स्तर पर सम्मान के नए मानदंड स्थापित किए हैं। मोदी जी का व्यक्तित्व कई दृष्टियों से प्रेरक है। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारक, आध्यात्मिक व्यक्ति और कर्मठ कार्यकर्ता भी हैं। उनके जीवन की कहानी यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से कोई भी व्यक्ति असंभव को संभव बना सकता है। उनकी सोच, नीतियाँ और जनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक सशक्त और प्रभावशाली प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित किया। यह अध्याय उनके व्यक्तित्व, दृष्टि और विचारधारा का परिचय देता है।  मोदी केवल एक कार्यकर्ता और नेता नहीं हैं, बल्कि एक गहरे विचारक भी हैं। उनके विचार और दृष्टिकोण आधुनिकता और पर...

कुंडली में धन योग

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आलोक रंजन त्रिपाठी ज्योतिष एवं वास्तु एक्सपर्ट  जन्म कुंडली में धन योग ऐसे शुभ संयोग होते हैं जो व्यक्ति को आर्थिक रूप से समृद्ध और सफल बनाते हैं। जब धन भाव (दूसरा भाव), लाभ भाव (ग्यारहवाँ भाव) या अर्थ त्रिकोण (दूसरा, पाँचवाँ और नौवाँ भाव) के स्वामी आपस में शुभ संबंध बनाते हैं, तो धन योग का निर्माण होता है। यदि गुरु , शुक्र या बुध इन भावों में स्थित हों या इनसे दृष्टि संबंध रखें, तो व्यक्ति को स्थायी और बढ़ता हुआ धन प्राप्त होता है। लग्नेश और धनेश के बीच योग बनना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, जब लाभेश (ग्यारहवें भाव का स्वामी) केंद्र या त्रिकोण में हो, तो व्यक्ति को व्यापार, नौकरी या निवेश से अच्छा लाभ मिलता है। धन योग केवल पैसा देने वाला नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति को समझदारी से धन उपयोग करने की बुद्धि भी देता है। अगर इन योगों पर शनि , राहु या केतु का अशुभ प्रभाव न हो, तो व्यक्ति समाज में आर्थिक रूप से सम्मानित स्थान प्राप्त करता है। इसलिए कहा गया है—“कर्म और ग्रह दोनों जब साथ दें, तब ही भाग्य चमकता है।” धन योग व्यक्ति की मेहनत और ग्रहों की कृप...

, आंखों का स्वप्न प्रेरक कहानी

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छोटे से कस्बे में रहने वाले रामलाल और उनकी पत्नी सावित्री के जीवन का एक ही सपना था—उनका बेटा आदित्य बड़ा होकर कुछ ऐसा करे जिससे उनका सिर गर्व से ऊँचा हो जाए। रामलाल एक छोटे दर्जी थे, जो दिन-रात सिलाई मशीन पर झुके रहते, और सावित्री घर-घर जाकर लोगों के कपड़े धोतीं ताकि घर चल सके। गरीबी के बावजूद दोनों ने कभी शिकायत नहीं की, क्योंकि उनके दिल में एक उम्मीद जलती रहती थी—“हमारा बेटा पढ़-लिखकर हमारी तकदीर बदलेगा।” आदित्य बचपन से ही तेज था। स्कूल में उसके अंक हमेशा अच्छे आते थे। वह कहता, “पिताजी, मैं इंजीनियर बनकर आपके लिए बड़ा घर बनवाऊँगा।” रामलाल मुस्कुराते हुए कहते, “बेटा, तू बस मेहनत कर, बाकी हम पर छोड़ दे।” लेकिन उस मेहनत का बोझ असल में माता-पिता के कंधों पर था। जब दसवीं के बाद कॉलेज में दाखिले की बारी आई, तो फीस सुनकर रामलाल के चेहरे का रंग उड़ गया। फिर भी उन्होंने कहा, “पैसे की चिंता मत कर, बेटा।” उस रात वे घर से चुपचाप बाहर निकले और अपनी पुरानी सिलाई मशीन गिरवी रख दी। सावित्री ने अपने कानों के झुमके उतारकर पैसे जोड़ दिए। अगले दिन जब आदित्य ने प्रवेश पत्र हाथ में लिया, उसकी आँखों मे...

आपका जन्म और उद्देश्य ज्योतिष की दृष्टि में

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Alok ranjan आपका जन्म उद्देश्य – कुंडली से जानें आलोक रंजन त्रिपाठी, ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ के अनुसार, हमारे जन्म का उद्देश्य हमारे लग्नेश (लग्न का स्वामी) और वह किस भाव में स्थित है, से तय होता है। 1. लग्नेश धर्म भाव (9वाँ भाव) में: जीवन का उद्देश्य धर्म, सेवा और समाज कल्याण। अपने कर्मों से लोगों के जीवन में सुधार लाना। नैतिकता और सिद्धांत के आधार पर आगे बढ़ना। 2. लग्नेश अर्थ भाव (2वाँ भाव) में: जन्म का उद्देश्य धन और संपत्ति अर्जित करना। आर्थिक सुरक्षा और भौतिक समृद्धि की ओर अधिक आकर्षण। जीवन में वित्तीय स्थिरता और संसाधनों की वृद्धि पर ध्यान। 3. लग्नेश मोक्ष भाव (12वाँ भाव) में: जन्म का उद्देश्य स्वतंत्रता, आत्मज्ञान और आंतरिक विकास। ज्यादा लगाव और बंधन न रखना। आत्मनिर्भर रहकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना। जन्म कुंडली का यह विश्लेषण हमें जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझने में मदद करता है। जब हम अपने जन्म उद्देश्य के अनुसार कदम उठाते हैं, तो जीवन में संतोष, सफलता और स्थायी खुशी मिलती है। आलोक रंजन त्रिपाठी ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ  इन्दौर  मोबाइल 8319482309

शादी में बिलंब ज्योतिष की दृष्टि में

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सादी में देर या रुकावट — ज्योतिषीय दृष्टिकोण मानव जीवन में विवाह केवल सामाजिक नहीं, बल्कि ग्रहों के समन्वय से जुड़ा एक संस्कार है। जब किसी जातक की शादी बार-बार टलती है, रिश्ते टूटते हैं, या समय बीतने पर भी विवाह का योग नहीं बनता — तो इसका संकेत जन्मकुंडली में स्पष्ट दिखाई देता है। मुख्य कारण (ज्योतिषीय दृष्टि से): सप्तम भाव की स्थिति: विवाह का मुख्य भाव सप्तम भाव होता है। यदि इस भाव पर शनि, राहु या केतु का प्रभाव हो, तो विवाह में देरी या अड़चन आती है। शुक्र और गुरु की स्थिति: पुरुष जातक के लिए शुक्र, स्त्री जातक के लिए गुरु विवाह का कारक ग्रह हैं। यदि ये ग्रह पाप ग्रहों से पीड़ित हों, तो रिश्ते बनते-बनते टूट जाते हैं। शनि की दृष्टि: शनि ग्रह विलंब का प्रतीक है। यदि यह सप्तम भाव में हो या उस पर दृष्टि डाले, तो विवाह में स्वाभाविक रूप से देर होती है। राहु–केतु का प्रभाव: राहु या केतु के प्रभाव से विवाह में असमंजस या सामाजिक रुकावटें आ सकती हैं। उपाय: शुक्रवार का व्रत या गौरी-शंकर पूजा करें। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र 108 बार जपें। सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। योग्य गुर...

मां की ममता

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मां की ममता 🌸 गांव के सिरे पर, अमलतास के पेड़ों के नीचे एक झोपड़ी थी — वहीं रहती थी राधा, अपने पाँच साल के बेटे चिराग के साथ। राधा के जीवन में न सुख था, न सहारा; लेकिन उसके आंचल में ममता की ऐसी गहराई थी कि खुद दुख भी वहां आकर पिघल जाता था। दिनभर खेतों में मेहनत करने के बाद जब वह शाम को लौटती, तो थकान जैसे हवा में घुल जाती — बस चिराग की हंसी सुनते ही। “आ गया मेरा सूरज?” — वह मुस्कुराती, और बेटा उसकी गोद में समा जाता। एक दिन राधा को तेज बुखार चढ़ गया। देह तप रही थी, आंखें बंद थीं। चिराग ने अपनी नन्हीं हथेलियों से पानी लाकर मां के माथे पर पट्टी रखी। उसकी आंखों में मासूम चिंता थी — “मां, तू जल्दी ठीक हो जा... मैं भगवान से कह दूंगा।” राधा की आंखों से आंसू बह निकले — “मेरे लाल, तेरे प्यार से ही तो मैं सांस लेती हूं…” सुबह की किरणें झोपड़ी में उतरीं तो राधा ने देखा — चिराग उसके पास ही सोया है, थकान से चेहरा धूल में सना हुआ, पर मुस्कान वैसी ही उजली। राधा ने उसके सिर पर हाथ फेरा और मन ही मन कहा — “हे ईश्वर, मेरी हर सांस मेरे बेटे की खुशी में बस जाए।” उस छोटे से घर में धन नहीं था, प...

वास्तु का महत्व

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Facebook   “आलोक रंजन त्रिपाठी, वास्तु एवं ज्योतिष विशेषज्ञ”   वास्तु का महत्व लेखक – आलोक रंजन त्रिपाठी, वास्तु एवं ज्योतिष विशेषज्ञ वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति की एक अद्भुत देन है, जो मानव जीवन को प्रकृति के नियमों से जोड़ता है। यह केवल भवन निर्माण की विधि नहीं, बल्कि ऊर्जा, दिशा और संतुलन का विज्ञान है। जब घर या कार्यालय वास्तु के अनुसार निर्मित होता है, तो उसमें सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। उत्तर-पूर्व में पूजा स्थल, दक्षिण में शयन कक्ष और उत्तर दिशा में खुलापन शुभ माना गया है। वास्तु के सिद्धांतों का पालन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति बढ़ती है।

मैं और मेरा आकाश

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--- 🌟 मैं और मेरा आकाश: लेखन और ज्योतिष का संगम ✍️ आलोक रंजन त्रिपाठी, इन्दौर (मध्य प्रदेश) --- कभी-कभी जीवन दो अलग दिशाओं से हमें बुलाता है — एक दिशा मन को सोचने पर मजबूर करती है, दूसरी आत्मा को महसूस करने पर। मेरे जीवन में ये दोनों दिशाएँ — लेखन और ज्योतिष — एक साथ चलीं, और मैंने पाया कि दोनों का अंतिम पड़ाव एक ही है — सत्य और आत्मज्ञान। इन्दौर जहां मैं रहता हू वहाँ आधुनिकता की रफ़्तार और परंपरा की जड़ें एक साथ सांस लेती हैं। बचपन से ही शब्दों और आकाश दोनों ने मुझे आकर्षित किया। जब दोस्त क्रिकेट के मैदान में थे, मैं कभी किसी किताब में डूबा होता या आसमान में चमकते तारे गिन रहा होता। --- प्रारंभ: शब्दों से ग्रहों तक मुझे याद है, जब मैंने पहली बार पं. हरिहरन शर्मा जी की पुस्तक “भविष्य ज्योतिष रहस्य” हाथ में ली थी, तो उसमें लिखा एक वाक्य मुझे भीतर तक छू गया — > “जो अपने ग्रहों को समझ लेता है, वह अपने भीतर के ब्रह्मांड को समझ लेता है।” उसी दिन से मैंने तय किया कि मैं अपने जीवन के ग्रहों को भी शब्दों में ढालूंगा। मेरे लिए ग्रह, नक्षत्र, और भाव — केवल आकाशीय बिंदु नहीं थे, बल्कि ये मेरे...